
परिचय
छुआ आसमान डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम लिखित उनकी जीवनी ” Wings of fire ” का हिंदी अनुवाद है।
भारत रत्न से सम्मानित पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम को किसी परिचय की ज़रूरत नहीं है।
‘मिसाइल मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से विख्यात डॉ. कलाम एक उत्कृष्ट छमता वाले एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे।
रक्षा प्रौद्योगिकी तथा अंतरिक्ष विज्ञान में उनका योगदान अपूर्व है।
मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के बाद हम यह गर्व से साथ कह सकते है कि भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने हमें विक्रम साराभाई तथा ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जैसे कुशल वैज्ञानिक दिए हैं।
इन्होने ऐसी प्रेरणा दी की अंतरिक्ष की ओर छात्रों का रुझान बढ़ा है।
हम यह कह सकते हैं की विक्रम साराभाई ने जिस संस्थान की नींव रखी उसे डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम नयी उचाईयों पर ले गए।
पुस्तक के बारे में
छुआ आसमान में अब्दुल कलाम ने अपनी जीवनी का चित्रण किया है।
रामेश्वरम के एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे कलाम के लिए बचपन से ही चीज़ें काफ़ी चुनौतीपूर्ण रहीं।
इस पुस्तक में उन्होंने अपनी परवरिश, शिक्षा तथा जीवन में किये गए संघर्षों का वर्णन रोचक ढंग से किया है।
एक वैज्ञानिक के तौर पर वे इस बात पर जोर देते हैं की असफलता एक सीढ़ी की तरह है जिसपर चढ़कर कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि क्यों न आता हो, सफलता को पा सकता है।
अंतरिक्ष विज्ञान में एक असफलता का मतलब करोड़ो- अरबों नुकसान हो सकता है इसलिए इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने अपने काम में पूर्णता लाने के लिए पाठकों को प्रेरित किया है।
SLV-3 के असफल परीक्षण ने उनकी बेचैनी बढ़ा दी परन्तु मिशन निर्देशक होने के नाते उन्होंने इस असफलता की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली और इसे स्वीकार किया। एक साल के अंदर वे और उनकी टीम ने SLV-3 का सफल परीक्षण करके अपना तथा अपने संस्थान की विश्वसनीयता स्थापित की।
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम हमेशा सादे कपडे और हवाई चप्पल पहनते थे। आज के परिपेक्ष्य में यह काफी अप्रचलित प्रतीत होता है परन्तु सफलता से सजे हुए कपड़ो में वे हमेशा सुन्दर ही दिखते थे।
छात्रों से लगाव
उन्होंने हमेशा अपने को एक छात्र माना और वे छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय भी थे। छात्रों से सवाल करना और उनके सवालों के जबाब देना उनको काफी पसंद था।
राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे छात्रों के काफी करीब रहे और उन्होंने कई बार उन्हें स्कूलों तथा कॉलेजों में जाकर सम्बोधित किया।
छात्रों से उनका लगाव इस वाकिये से समझा जा सकता है कि जब उनकी मृत्यु हुई उस वक़्त भी वे भारतीय प्रबंध संस्थान शिलांग के छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे।
किन्हे पढ़ना चाहिए
छात्रों के लिए ये पुस्तक अनिवार्य कही जा सकती है। दो स्पष्ट कारणों से – पहला, असाधारण क्षमता प्राप्त करने के लिए पृष्ठभूमि कभी मायने नहीं रखती।
संसाधनों की कमी का रोना रोने वाले छात्र इस पुस्तक से काफी कुछ ग्रहण कर सकते हैं। शायद फिर वे शिकयत करना छोड़ दें।
और दूसरा, जो व्यक्ति छात्रों के इतने करीब रहा हो उनकों सच्ची श्रद्धांजलि यही हो सकती है की छात्र उनकी जीवनी से प्रेरणा ले।
किसी संस्थान की विश्वसनीयता तथा उसके शीर्ष नेतृत्व की कार्यकुशलता, उनकी उपलब्धियों द्वारा मापी जा सकती है।
अगर ISRO तथा DRDO ने कुछ अद्वितीय उपलब्धियां हासिल कीं हैं तो प्रबंधन के छेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह जानना काफी दिलचस्प होगा टीम भावना को जगाने के लिए प्रबंधक में किन खूबिओं का होना आवश्यक है।
शीर्ष प्रबंधन में बैठे लोगों के बीच ईर्ष्या की भावना सिर्फ छोटे संस्थानों में ही नहीं अपितु ISRO तथा DRDO जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी होती है।
फिर भी एक कुशल प्रशासक सबको साथ लेकर चलने में कामयाब हो जाता है क्योंकि जैसे की उनका संस्थान कोई बड़ी उपलब्धि हासिल करता है सारी भावनाएँ पीछे चली जाती हैं क्योंकि फिर शायद उस नेतृत्व पर सबको भरोसा हो जाता है।
मंगलयान की सफलता के बाद तो इस पुस्तक का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो इन प्रक्षेपणों के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान पर गर्व महसूस करता है, उसे इसके नायकों के बारे विस्तार से जानने की ललक बढ़ेगी, विशेषकर अंतरिक्ष विज्ञान में रूचि रखने वाले छात्रों को।